एचआईवी संक्रमण मुक्त उत्तराखंड को लेकर गंभीर धामी सरकार, स्वास्थ्य सचिव डॉ आर राजेश कुमार बोले छिपाकर नहीं-बताकर मिलेगा एड्स से छुटकारा

देहरादून। एचआईवी संक्रमण मुक्त उत्तराखंड को लेकर धामी सरकार बेहद गंभीर है। इसके लिये टीबी मुक्त उत्तराखंड की तर्ज पर जागरूकता कार्यक्रम संचालित किये जा रहे हैं। एचआईवी संक्रमितों की जांच, उपचार एवं परामर्श के लिये प्रदेशभर में 164 आईसीटीसी केन्द्र एवं 7 एआरटी केन्द्रों स्थापित किये गये हैं। उत्तराखंड राज्य एड्स नियंत्रण समिति के माध्यम से प्रदेशभर में एचआईवी एड्स की रोकथाम के लिये कार्यक्रम संचालित किये जा रहे हैं। एचआईवी संक्रमितों की पहचान कर उन्हें सरकार की ओर से निःशुल्क दवा व परामर्श उपलब्ध कराया जा रहा है। उत्तराखंड में एचआईवी पॉजिटिविटी रेट 0.48 से कम होकर 0.24 हो गया है जो कि एचआईवी संक्रमण दर में कमी के अच्छे संकेत हैं। राज्य सरकार टीबी मुक्त उत्तराखंड अभियान की तर्ज पर सूबे में एचआईवी एड्स के प्रति जागरूकता कार्यक्रम संचालित कर रही है। जिसके अंतर्गत जनपद से लेकर ब्लॉक स्तर पर जागरूकता रैली एवं गोष्ठियों का आयोजन किया जा रहा है।
स्वास्थ्य सचिव डॉ आर राजेश कुमार ने कहा कि राज्य में एचआईवी एड्स की रोकथाम के लिये व्यापक स्तर पर काम किया जा रहा है। एचआईवी संक्रमित मरीजों को राज्य में मौजूद एआरटी सेंटरों से निरूशुल्क दवाएं दी जा रहीं हैं। साथ ही एचआईवी से बचने को लेकर जागरूकता अभियान भी समय-समय पर चलाया जाता है। पीड़ितों को चाहिए कि एड्स के लक्षण मिलने पर तत्काल विशेषज्ञ चिकित्सकों से संपर्क करें। बीमारी को छिपाए नहीं, बल्कि समय पर उपचार कराएं।
एचआईवी संक्रमित लोगों की देखभाल, सहायता एवं चिकित्सा और उपचार में स्वास्थ्य विभाग मदद करता है। राज्य में कुल सात एआरटी सेंटर हैं। जहां वर्तमान में कुल 5580 एचआईवी संक्रमित मरीजों को एंटी रेट्रो वायरल दवाएं निरूशुल्क दी जा रहीं हैं। इन दवाओं से रोगी की आयु बढ़ जाती है। हालांकि उसे रोग मुक्त किया जाना संभव नहीं है। हल्द्वानी में राजकीय मेडिकल कॉलेज हल्द्वानी में एआरटी सेंटर है।
कोरोनाकाल के बाद बढ़ी संक्रमण दर
साल 2015-16 में हुईं 179592 जांचों में एचआईवी की संक्रमण दर 0.46 प्रतिशत थी जो साल 2020-21 में 315740 जांचों में घटकर 0.19 प्रतिशत रह गई थी। कोरोनाकाल शुरू होने के साथ ही एचआईवी जांच में संक्रमण दर बढ़ने लगी। साल 2021-22 में हुई 353566 एचआईवी जांचों में ये बढ़कर 0 ़25 प्रतिशत और साल 2022 में अप्रैल से अक्तूबर के दौरान हुई 290015 जांचों में 0.25 प्रतिशत दर्ज की गई है। वर्तमान में उत्तराखंड में एस्टीमेट एडल्ट एचआईवी प्रिवेलेंस (15-49 साल) संक्रमण दर 0.12 (स्रोत-टेक्निकल रिपोर्ट-2021, एनएसीओ) प्रतिशत है।
राज्य में दूसरे नंबर पर हरिद्वार जिला है। यहां आठ साल में एचआईवी के 1151 मरीज मिले हैं। इधर कुमाऊं में नैनीताल जिले में एचआईवी संक्रमितों की संख्या अब तक सबसे ज्यादा दर्ज की गई है। नैनीताल जिले में पिछले आठ साल में 1145 मरीज एचआईवी के मिले हैं। इस साल अभी तक अप्रैल से लेकर अक्तूबर तक जिले में 196 एचआईवी संक्रमित मिले हैं। स्वास्थ्य विभाग के अनुसार, नैनीताल जिले में एचआईवी के बढ़ रहे मरीजों का एक कारण नशे के लिए किए जाने वाले इंजेक्शनों का इस्तेमाल भी है। विशेषज्ञों के अनुसार, यह बीमारी मच्छर जनित नहीं हैं।
नैनीताल जिले में सात बच्चों में एचआईवी संक्रमण
नैनीताल जिले में सात बच्चों में एचआईवी संक्रमण पाया गया है। इनका उपचार एआरटी सेंटर हल्द्वानी से चल रहा है। जिला प्रोबेशनल कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार इन सभी बच्चों को विभाग में सूचीबद्ध किया गया है। इन बच्चों की देखरेख विभाग की ओर से भी की जा रही है। उल्लेखनीय है कि पिछले साल तक नैनीताल जिले में एचआईवी संक्रमित बच्चों की संख्या तीन ही थी। जो अब बढ़कर सात हो गई है।