कांग्रेस नेताओं के निशाने पर गुलाम नबी आजाद, बोले पहले संसद में मोदी के आंसू, पद्म भूषण

कांग्रेस नेताओं के निशाने पर गुलाम नबी आजाद, बोले पहले संसद में मोदी के आंसू, पद्म भूषण

[ad_1]

नई दिल्ली। कांग्रेस पार्टी में करीब 50 साल गुजार चुके गुलाम नबी आजाद ने पार्टी छोड़ने का ऐलान किया यह बात उनके पुराने साथियों को नागवार गुजरी। कांग्रेस की ओर से कहा गया कि पहले संसद में मोदी के आंसू, पद्म भूषण, फिर मकान का एक्सटेंशन यह संयोग नहीं है। पार्टी छोड़ने के बाद कांग्रेस की ओर से उन पर कई आरोप भी लगाए गए। पार्टी ने उनके इस्तीफे को राज्यसभा से जोड़ा। उनके इस कदम को विश्वासघात बताया। इस पूरे मामले को राज्यसभा कार्यकाल से जोड़ते हुए कांग्रेस पार्टी ने आरोप लगाया कि विश्वासघात से असली चरित्र का पता चलता है और उनका डीएनए मोदी-फाइड है। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने ट्वीट करते हुए लिखा कि एक व्यक्ति जिसके साथ कांग्रेस नेतृत्व ने सबसे अधिक सम्मान के साथ व्यवहार किया उसने अपने शातिर व्यक्तिगत हमलों से धोखा दिया जो असली चरित्र को उजागर करता है। जीएनए (गुलाम नबी आजाद) का डीएनए मोदी-फाइड है।

कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने ट्वीट करते हुए लिखा कि गुलाम नबी जी भाई जान, आपको राज्य सभा में विपक्ष का नेता बनाए जाने का निर्णय राहुल जी के किस पीए या सुरक्षा कर्मी ने लिया था? यह भी हमें बता दें। पार्टी के दूसरे नेता शकील अहमद ने कहा कि किसी मुद्दे पर मतभेद/नाराजगी के कारण पार्टी से अलग होना एक बात है। मगर पार्टी से अलग होने के घंटे भर के अंदर ही नयी पार्टी बनाने का एलान यह बताता है कि गुलाम नबी आजाद साहेब के आरोप पार्टी छोड़ने के बहाने से ज्यादा कुछ भी नहीं हैं। कांग्रेस के पूर्व सांसद संदीप दीक्षित ने गुलाम नबी आजाद के फैसले पर सवाल उठाते हुए कहा कि मुझे इसमें विश्वासघात की बू आ रही है।

आशियाने का एक्सटेंशन और कांग्रेस नेताओं के सवाल
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने गुलाम नबी आजाद के पार्टी छोड़ने पर कहा कि जिस व्यक्ति को कांग्रेस नेतृत्व ने सबसे ज्यादा सम्मान दिया, उसी व्यक्ति ने कांग्रेस नेतृत्व पर व्यक्तिगत हमले करके अपने असली चरित्र को दर्शाया है। जयराम रमेश ने कहा कि पहले संसद में मोदी के आंसू, फिर पद्म भूषण, फिर मकान का एक्सटेंशन यह संयोग नहीं, सहयोग है। पार्टी नेताओं का यह भी कहना है कि गुलाम नबी आजाद ने राहुल गांधी से निजी खुन्नस निकालने और राज्यसभा में न भेजे जाने के कारण त्यागपत्र में अनर्गल बातें की हैं।

कांग्रेस के मीडिया एवं प्रचार प्रमुख पवन खेड़ा ने कहा गुलाम नबी आजाद और इन जैसे लोगों को समझ लेना चाहिए कि पार्टी के कार्यकर्ता क्या चाहते हैं। यह सज्जन 5 पन्नों के पत्र में डेढ़ पेज तक यह लिखते हैं कि वह किन-किन पदों पर रहे और फिर लिखते हैं कि उन्होंने निरूस्वार्थ सेवा की। राज्यसभा न भेजे जाने के कारण आजाद तड़पने लगे। पार्टी को कमजोर करने में इन्हीं लोगों का तो योगदान रहा है। कांग्रेस की ओर से जिस मकान के एक्सटेंशन की बात की जा रही है उसके बारे में कहा जा रहा है कि कुछ ही दिन पहले सरकार की ओर से एक्सटेंशन मिला है। गुलाम नबी आजाद के दिल्ली स्थित साउथ एवेन्यू के आवास को सरकार की ओर से एक्सटेंशन मिला है। कांग्रेस से इस्तीफे के बाद इसकी चर्चा और भी तेज हो गई है।

जब बोलते-बोलते गुलाम नबी आजाद के लिए रो पड़े थे पीएम मोदी
राज्यसभा से जब गुलाम नबी आजाद रिटायर हुए और उस वक्त पीएम मोदी जिस तरीके से विदाई भाषण में बोलते हुए भावुक हुए उसकी काफी चर्चा हुई। पिछले साल गुलाम नबी आजाद राज्यसभा से रिटायर हुए और विदाई भाषण में बोलते हुए पीएम मोदी ने उनके संग बिताए पलों को याद किया और एक वक्‍त तो रो पड़े। पीएम मोदी ने कहा गुलाम नबी आजाद के बाद जो भी नेता प्रतिपक्ष का पद संभालेंगे, उनको गुलाम नबी जी से मैच करने में बहुत दिक्‍कत पड़ेगी। प्रधानमंत्री मोदी ने एक किस्सा भी सुनाया कि कैसे जब वो गुजरात के सीएम थे और जम्‍मू-कश्‍मीर में गुजरात के यात्रियों पर आतंकी हमला हुआ था। उस समय गुलाम नबी आजाद ने जैसी चिंता गुजरात के लोगों के लिए दिखाई, इस बात का जिक्र करते हुए पीएम मोदी रो पड़े।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुलाम नबी आजाद को संसदीय लोकतंत्र में योगदान के लिए सैल्‍यूट भी किया। गुलाम नबी आजाद ने भी रिटायर होने के बाद पीएम मोदी की तारीफ की थी। पीएम मोदी ने जिस तरीके से उनकी तारीफ की थी उसके बाद ही इस बात के कयास लगाए जाने लगे कि कहीं वो पाला न बदल लें। गुलाम नबी आजाद को इसी साल 26 जनवरी को भारत सरकार ने पद्म भूषण पुरस्कार देने का ऐलान किया। उनको जब पद्म भूषण दिया गया उस वक्त कई कांग्रेसी नेताओं की यह मंशा थी कि उनको यह पुरस्कार लौटा देना चाहिए। हालांकि गुलाम नबी आजाद ने तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के हाथों से यह पुरस्कार ग्रहण किया। कांग्रेस के भीतर उनकी गिनती जी 23 नेताओं में होती थी। पार्टी के भीतर कई मुद्दों को लेकर वह पहले भी सवाल खड़े कर चुके थे। इस बार कांग्रेस की ओर से भारत यात्रा शुरू होने से पहले ही उन्होंने पार्टी के साथ अपनी आगे की यात्रा रोक दी।



[ad_2]

Source link

Samachaar India

Related articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *