कान की बीमारी टिनिटस क्या है? जानिए इसकी वजह, लक्षण और इलाज
कई बार हमारे आसपास किसी भी तरह की आवाज नहीं होने के बावजूद हमें कानों में सीटी या भिनभिनाने जैसी आवाजें सुनाई देती हैं। यह आवाजें हमारे कानों से ही आती हैं और थोड़ी देर बाद बंद हो जाती हैं। हालांकि अगर किसी को बार-बार ऐसी आवाजें सुनाई दे रही हैं तो यह खतरनाक हो सकता है क्योंकि यह कानों की बीमारी टिनिटस का एक लक्षण है। आइए आज टिनिटस के बारे में विस्तार से जानते हैं।
क्या होता है टिनिटस?
टिनिटस कान से जुड़ी एक ऐसी बीमारी है जिससे ग्रस्त व्यक्ति को कानों के अंदर से सीटी या भिनभिनाने जैसी आवाज सुनाई देती है। यह बीमारी सुनने की क्षमता कम होने, कान में मैल के जमाव और कान में चोट या संक्रमण आदि के कारण हो सकती है। अगर इसका इलाज सही समय पर नहीं कराया जाए तो इससे मरीज को सोने में परेशानी, निराशा और अवसाद जैसी समस्याएं भी हो सकती हैं।
टिनिटस किस-किस वजह से हो सकती है?
टिनिटस होने के पीछे का कारण बहरापन, कान में संक्रमण या कान में ब्लॉकेज हो सकता है जो तरल पदार्थ, मैल, गंदगी या अन्य बाहरी सामग्रियों के जमा होने के कारण होता है। इसके अलावा रक्त वाहिका संबंधी डिसऑर्डर, कान की हड्डी में बदलाव और अन्य पुरानी स्थितियां भी टिनिटस का कारण बन सकती हैं। सिर या गर्दन की चोटें, कैंसर और एंटी-डिप्रेसेंट और एंटी-इंफ्लेमेटरी दवाओं का सेवन इस बीमारी को बढ़ा सकते हैं।
क्या हैं टिनिटस के लक्षण?
टिनिटस के शुरुआती लक्षण में कानों में सीटी बजने या भिनभिनाने की आवाजें सुनाई देती हैं। इसके अलावा आप गर्जना, फुफकार या भनभनाहट जैसी आवाजों का भी लंबे समय तक अनुभव करते हैं। इसके साथ ही कान में दर्द भी महसूस होता है। कुछ मामलों में ये आवाजें तेज हो सकती हैं, जिसकी वजह से बाहरी आवाजें सुनना या किसी काम में ध्यान लगाना मुश्किल हो जाता है।
मरीज की स्थिति के आधार पर होता है टिनिटस का इलाज
डॉक्टर मरीज की स्थिति के आधार पर टिनिटस के इलाज का तरीका तय करते हैं। आमतौर पर डॉक्टर सबसे पहले जांच करके यह देखते हैं कि मरीज की सुनने की क्षमता कितनी है। इस प्रक्रिया को ऑडियोमेट्री कहते हैं। इसके बाद वह एक टाइम्पेनोमीटर का उपयोग करके आपके कान के परदे की जांच करते हैं। यह जांच डिसऑर्डर का पता लगाने और फिर आवश्यक दवाओं का सुझाव देने में मदद करती है।
टिनिटस की रोकथाम कैसे करें?
टिनिटस को रोकने के लिए अपनी सुनने की क्षमता की सुरक्षित करने की कोशिश करें। इसके लिए अपने कानों में रुई रखने की कोशिश करें ताकि तेज आवाज के संपर्क में आने से बच सकें और हेडफोन पर गाना सुनते समय आवाज को हमेशा कम रखें। इसके अलावा रोजाना एक्सरसाइज करें और हृदय स्वास्थ्य की देखभाल के लिए स्वस्थ खाना खाएं। इसके साथ ही शराब, निकोटिन और कैफीन वाले खाद्य पदार्थों का सेवन सीमित कर दें।