धामी के फैसलों की धमक से दो रावतों में ठनी, हरदा का त्रिरदा से सुलगता सवाल

धामी के फैसलों की धमक से दो रावतों में ठनी, हरदा का त्रिरदा से सुलगता सवाल

देहरादून। सत्ता के केंद्र में भले ही अब रावत न हों, लेकिन रावतों के कारण राज्य में आज भी उथल-पुथल का दौर है। यूकेएसएसएससी के मास्टरमाइंड आरबीएस रावत, हाकिम सिंह रावत की भूमिका को लेकर प्रदेश के दो दिग्गज रावत नेता यानी पूर्व सीएम हरीश रावत और त्रिवेंद्र रावत के बीच जबरदस्त शब्दभेदी बाण चल रहे हैं।

त्रिवेंद्र रावत ने यूकेएसएसएससी के गठन के औचित्य पर सवाल उठाए हैं तो इसके जवाब में हरदा ने भी जमकर पलटवार किया है। हरदा का कहना है कि यदि कोई भ्रष्ट था तो तत्कालीन सीएम के तौर पर त्रिवेंद्र रावत फैसला ले सकते थे और आरबीएस रावत सलाखों के पीछे होता। दरअसल, दोनों रावतों की जंग के पीछे की राजनीति यह है कि सीएम पुष्कर सिंह धामी तेजी से उन गुनाहगारों को जेल भेजने का काम कर रहे हैं जो भी भर्ती प्रक्रिया में गड़बड़ी का आरोपी हैं। सीएम धामी ने इसमें अपना-पराया कोई नहीं देखा। कई ऐसे लोग जो आरोपी हैं जिनका भाजपा या आरएसएस से संबंध रहा है। इसके बावजूद उन्होंने किसी भी आरोपी को नहीं बख्शा है। ऐसे में भर्ती मामलों में चाहे वह सचिवालय भर्ती की बात हो या यूकेएसएसएससी का, सीएम धामी ने तमाम राजनीतिक दबावों को दरकिनार करते हुए आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई करने के आदेश दिये हैं। सीएम धामी इस मुद्दे पर फ्रंटफुट पर खेल रहे हैं और रावत बैकफुट पर आ गये हैं।

आयोग के बनाने के पीछे की नीयत ही खराब थी-त्रिवेन्द्र सिंह रावत

पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग-यूकेएसएसएससी बनाने की मंशा सही नहीं थी। ऐसी संस्थाओं की जरूरत नहीं है जो राज्य की साख को गिराने का काम करें। यूकेएसएसएससी भर्ती परीक्षाओं में घपले ही घपले सामने आ रहे हैं। पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत ने कहा कि इस आयोग के बनाने के पीछे की नीयत ही खराब थी, इसलिए ऐसी संस्थाओं को भंग कर देना चाहिए। उन्होंने कहा कि अच्छे ईमानदार, चरित्रवान लोग और राज्य के प्रति जिनका समपर्ण हो, ऐसे लोग यदि किसी संस्था में जाएंगे तो ही वो संस्था ठीक चल सकती है। ऐसी संस्थाओं की कोई आवश्यकता नहीं जो राज्य की साख गिराने और व प्रतिष्ठा को समाप्त करने का काम करें। विदित है पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत सरकार में वर्ष 2014 में समूह ग की भर्तियों के लिए अधीनस्थ सेवा चयन आयोग का गठन हुआ था। आयोग की पहली भर्ती परीक्षा विवादों में आ गई थी। इसके बाद पूर्व सीएम त्रिवेंद्र रावत ने इस आयोग के लिए अलग से बिल्डिंग बनवाई थी।

हरदा बोले पहले गुस्सा दिखाते तो आज रावतों की धूम होती

हरीश रावत ने अपनी फेसबुक पोस्ट में लिखा है, यारा बड़ी देर कर दी समझ आते-आते। 2017 में जब हमने जांच शुरू की थी, जब आपके मंत्री ने विधानसभा के पटल पर स्वीकार किया था कि गड़बड़ियां पाई गई है, जांच रिपोर्ट शासन को मिली है। यदि तब इतना गुस्सा दिखाया होता तो फिर धामी की धूम नहीं होती, रावतों की धूम होती।
धन्य है उत्तराखंड, दरवाजे की चौखट पर सर टकराए तो घर ही गिरा दो। विधानसभा में भर्तियों में धांधलियां हुई तो विधानसभा भवन ही गिरा दो। संस्थाएं खड़ी की हैं, यदि संस्थाओं का दुरुपयोग हुआ है तो उसको रोकिए, दृढ़ कदम उठाइए, संस्थाएं तोड़ने से काम नहीं चलेगा। यदि हमने मेडिकल और उच्च शिक्षा का वॉक इन भर्ती बोर्ड नहीं बनाए होते तो आज डॉक्टर्स और उच्च शिक्षा में टीचर्स की भयंकर कमी होती। यदि गुस्सा दिखाना ही है तो अपनी पार्टी के लोगों को दिखाइए न, ये जितने घोटालेबाज अब तक प्रकाश में आए हैं इनका कोई न कोई संबंध भाजपा से है और विधानसभा भर्ती, यदि घोटाला है तो उसकी शुरुआत से लेकर के…कहां तक कहूं, तो गुस्सा सही दिशा की तरफ निकलना चाहिए। उत्तराखंड का संकल्प होना चाहिए कि जिन लोगों ने भी इन संस्थाओं में गड़बड़ियां की हैं, हम उनको ऐसा दंड देंगे कि कोई दूसरी बार गड़बड़ी करना तो अलग रहा, कोई भूल करने की भी गलती न करे।

Samachaar India

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