राहुल की यात्रा का लाभ दिखा नहीं
कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा को दक्षिण भारत के राज्यों में बहुत अच्छा रिस्पांस मिला है। राहुल गांधी के नेतृत्व में हो रही इस यात्रा के दो महीने पूरे हो गए हैं। जिस दिन यात्रा के दो महीने पूरे हुए उससे एक दिन पहले छह राज्यों की सात विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव के नतीजे आए और अगर यात्रा के चुनावी फायदे के हिसाब से देखें तो लाभ शून्य रहा। राहुल जिस राज्य में यात्रा कर रहे थे वहां भी कांग्रेस अपना पिछला प्रदर्शन नहीं दोहरा सकी। कांग्रेस की सहयोगी पार्टियों ने जरूर अच्छा प्रदर्शन किया लेकिन खुद कांग्रेस जहां भी लड़ी वहां उसका प्रदर्शन बहुत खराब रहा।
भारत जोड़ो यात्रा जिस समय तेलंगाना में चल रही थी उसी समय मुनुगोडे विधानसभा सीट पर उपचुनाव के लिए मतदान हुआ। कांग्रेस पार्टी का राजगोपाल रेड्डी 2018 के विधानसभा चुनाव में इस सीट पर 37 हजार से ज्यादा वोट से जीते थे। बाद में उन्होंने कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया और भाजपा में शामिल हो गए। उपचुनाव में भाजपा ने उनको टिकट दी थी। उपचुनाव में सत्तारूढ़ टीआरएस के प्रभाकर रेड्डी को 97 हजार और राजगोपाल रेड्डी को 89 हजार वोट मिले, जबकि कांग्रेस की पी सरवंती रेड्डी को सिर्फ 23 हजार वोट मिले। यानी कांग्रेस पिछली बार जितने वोट से जीती थी उससे भी कम वोट उपचुनाव में मिला।
कांग्रेस बिहार की मोकामा और गोपालगंज, उत्तर प्रदेश की गोला गोकर्णनाथ और महाराष्ट्र की अंधेरी ईस्ट सीट पर नहीं लड़ी थी। पार्टी तेलंगाना और ओडिशा की सीट पर लड़ाई में होने की उम्मीद नहीं कर रही थी। लेकिन हरियाणा की आदमपुर सीट पर कांग्रेस ने पूरी ताकत लगाई थी और ऐसा लग रहा था कि वहां कांग्रेस का उम्मीदवार अच्छा प्रदर्शन करेगा। लेकिन आदमपुर सीट पर भी कांग्रेस बड़े अंतर से हारी। कांग्रेस को उम्मीद थी कि पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंदर सिंह हुड्डा की वजह से जाट का एकमुश्त वोट उसे मिलेगा लेकिन यह उम्मीद पूरी नहीं हुई। जाट वोट में इनेलो और आम आदमी पार्टी ने सेंध लगा दी। करीब 16 हजार वोट से कांग्रेस के जयप्रकाश हार गए। इसके साथ ही हिसार लोकसभा क्षेत्र कांग्रेस मुक्त हो गया। इस क्षेत्र की नौ विधानसभा सीटों में से पांच भाजपा और चार उसकी सहयोगी जजपा के पास हैं। आदमपुर सीट पहले कांग्रेस के पास थी लेकिन कुलदीप बिश्नोई के पाला बदल कर भाजपा के साथ जाने के साथ ही यह सीट उसके हाथ से निकल गई थी।