उत्तराखंड का सबसे बड़ा जमीन घोटाला उजागर, देहरादून और विकासनगर के चाय बागानों की 5500 बीघा जमीन सीलिंग एक्ट के तहत सरकारी

उत्तराखंड का सबसे बड़ा जमीन घोटाला उजागर, देहरादून और विकासनगर के चाय बागानों की 5500 बीघा जमीन सीलिंग एक्ट के तहत सरकारी

[ad_1]

– तत्कालीन डीएम मनीषा पंवार की रिपोर्ट, जमीन को लेकर अध्यादेश हो चुका है जारी

देहरादून। चाय बागान की जमीन को लेकर अब एक नया मोड़ आ गया है। इस मामले में खुलासा हुआ है कि देहरादून ही नहीं विकासनगर तक सीलिंग की 5500 बीघा जमीन है। इस जमीन को लेकर वर्ष 2005 में तत्कालीन डीएम मनीषा पंवार ने सर्वे रिपोर्ट जारी की है। इस रिपोर्ट के बाद सीलिंग की जमीन को लेकर अध्यादेश भी जारी हो चुका है।

देहरादून में एक प्रेसवार्ता के दौरान सोशल एक्टिविस्ट एडवोकेट विकेश नेगी ने बताया कि यह प्रदेश का सबसे बड़ा जमीन घोटाला हुआ है। उन्हें सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत जानकारी मिली है कि चाय बागान की जमीन को लेकर 4 मई 2005 में तत्कालीन डीएम मनीषा पंवार ने गढ़वाल कमिश्नर को रिपोर्ट दी कि चाय बागान समेत अन्य भूमि के संरक्षण के लिए सर्वेक्षण किया गया। ऐसी भूमि की खरीद-फरोख्त के लिए तहसील स्तर पर अनापत्ति प्रमाण पत्र हासिल करने के आदेश 5 फरवरी को किये गये। विकेश नेगी के अनुसार रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है कि दस अक्टूबर 1975 के बाद चाय बागान की जमीन की खरीद-फरोख्त या हस्तांतरण होने की स्थिति में सीलिंग अधिनियम के तहत जमीन को शून्य कर राज्यसात किये जाने का निर्णय हुआ है।

आरटीआई एक्टिविस्ट विकेश नेगी ने बताया कि सुुप्रीम कोर्ट ने भी यही व्यवस्था की थी। उन्होंने कहा कि सीलिंग एक्ट के तहत देहरादून और विकासनगर की कुल 424.381 हेक्टेयर यानी लगभग 5500 बीघा जमीन चाय बागान की है। सीलिंग की जमीन को लेकर विभाग ने तहसीलदार से भी जवाब मांगा लेकिन विभाग को कोई जवाब नहीं दिया गया। एडवोकेट विकेश नेगी के अनुसार इस संबंध में अध्यादेश को भी छिपा कर रखा गया। उन्होंने बताया कि चाय बागान की जमीन को लेकर यूपी अध्यादेश संख्या 31 सन् 1975 द्वारा 10 अक्टूबर 1975 से ऐसी भूमि के नामांकरण और बिक्रय पर रोक लगाई गई तथा ग्रामीण सीलिंग अधिनियम की धारा 6 [2] के उल्घंन पर धारा 6 [3] के तहत ऐसे अतंरण/नामांकरण/ ब्रिकय को सून्य कर राज्यसात किये जाने का नियम स्थापित हुआ था। उन्होंने सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत जानकारी मांगी तो अध्यादेश छिपाने का खुलासा हो गया।

गौरतलब है कि चकरायपुर, रायपुर, लाडपुर और नत्थनपुर की 350 बीघा जमीन को लेकर एडवोकेट विकेश नेगी ने नैनीताल हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की है कि सरकारी भूमि को भूमाफिया खुर्द-बुर्द कर रहा है। इसके बाद हाईकोर्ट के आदेश पर इस जमीन की खरीद-फरोख्त पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी है। इस मामले की जांच एक समिति कर रही है जो कि डीएम को रिपोर्ट देगी और डीएम हाईकोर्ट में यह रिपोर्ट पेश करेंगे।



[ad_2]

Source link

Samachaar India

Related articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *