गैर मान्यता प्राप्त मदरसों का होगा सर्वे, योगी सरकार के आदेश पर भड़के ओवैसी

गैर मान्यता प्राप्त मदरसों का होगा सर्वे, योगी सरकार के आदेश पर भड़के ओवैसी

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लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार अब गैर मान्यता प्राप्त मदरसों का सर्वे कराने जा रही है। इसके लिए सर्वे टीमों को पांच अक्टूबर तक का समय दिया गया है। प्रदेश के सभी जिलाधिकारियों को 25 अक्टूबर तक अपने यहां का डाटा शासन को देने के निर्देश दिए गए हैं। राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने मदरसों का सर्वे कराने के लिए एक पत्र लिखा था। इसी पत्र के आधार पर उत्तर प्रदेश मदरसा बोर्ड ने भी 15 जून को सर्वसम्मति से गैर मान्यता प्राप्त मदरसों का सर्वे कराने का निर्णय लिया था। अल्पसंख्यक कल्याण विभाग ने गैर मान्यता प्राप्त मदरसों का सर्वे कराने का आदेश जारी कर दिया है।

अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के उप सचिव शकील अहमद सिद्दीकी ने सभी जिलाधिकारियों को भेजे आदेश में कहा है कि 10 सितंबर तक गैर मान्यता प्राप्त मदरसों का सर्वे करने के लिए टीम गठित कर ली जाए। इसमें संबंधित तहसील के उप जिलाधिकारी, जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी व जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी शामिल होंगे। यह टीम अपर जिलाधिकारी प्रशासन के निर्देशन में मदरसों का सर्वे करेगी। सर्वे के लिए टीम को पांच अक्टूबर तक का समय दिया गया है। सर्वे टीम 10 अक्टूबर तक रिपोर्ट संकलित कर अपर जिलाधिकारी प्रशासन के माध्यम से जिलाधिकारी को सौंपेंगे। जिलाधिकारी अपने-अपने जिले का डाटा 25 अक्टूबर तक शासन को उपलब्ध कराएंगे।

प्रधानाचार्य व डीएमओ कर सकेंगे मृतक आश्रित की नियुक्ति
प्रदेश सरकार से अनुदान प्राप्त करने वाले मदरसों की यदि प्रबंध समिति विवादित है तो मृतक आश्रित की नियुक्ति प्रधानाचार्य एवं जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी (डीएमओ) के माध्यम से की जाएगी। उप सचिव शकील अहमद सिद्दीकी की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि मृतक आश्रित की नियुक्ति के लिए प्रस्ताव प्रधानाचार्य डीएमओ को भेजेंगे। डीएमओ प्रस्ताव का परीक्षण कर रजिस्ट्रार मदरसा बोर्ड को भेजेंगे। मदरसा बोर्ड इसमें वित्तीय सहमति प्रदान करेंगे। वैध प्रबंध समिति के अस्तित्व में आने पर ऐसी नियुक्तियों पर बाद में कार्याेत्तर अनुमोदन लिया जाएगा।

यूपी में मदरसों के सर्वे पर भड़के असदुद्दीन ओवैसी
उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने गैर-मान्यता प्राप्त मदरसों के सर्वे का फैसला लिया है। सरकार के इस निर्णय पर विवाद भी छिड़ गया है और असदुद्दीन ओवैसी भी इसमें कूद गए हैं। योगी सरकार के फैसले पर सवाल उठाते हुए ओवैसी ने कहा कि ऐसा ही है तो फिर आदेश जारी करना चाहिए कि अब कोई मुसलमान नहीं रहेगा। उन्होंने कहा कि योगी सरकार का यह फैसला मनमाना है और मुसलमानों को शक की नजर से देखने की कोशिश है। उन्होंने कहा कि यह छोटा एनआरसी जैसा फैसला है। ओवैसी ने कहा कि सरकार जिन मदरसों को कोई मदद नहीं देती है, उनकी जांच कराने का हक उसके पास नहीं है।

ओवैसी ने कहा, श्निजी मदरसों से सरकार का कोई लेना-देना नहीं है। उनका सर्वे आखिर सरकार क्यों करा रही है। मदरसा बोर्ड से मान्यता प्राप्त संस्थानों को ही सरकार मदद देती है और उनकी ही जांच करा सकती है।श् हैदराबाद के सांसद ने कहा कि संविधान के आर्टिकल 30 के तहत अल्पसंख्यकों को अपने संस्थान चलाने का हक है। उन्होंने कहा कि यह सर्वे नहीं है बल्कि छोटा एनआरसी है। वहीं इस पर विवाद छिड़ने के बाद योगी सरकार में अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री दानिश आजाद अंसारी ने सरकार का मकसद बताया है कि आखिर क्यों मदरसों के सर्वे का फैसला लिया गया है।

योगी के मंत्री ने बताया-क्या है सर्वे कराने का मकसद
दानिश आजाद अंसारी ने कहा कि हम यह सर्वे इसलिए करना चाहते हैं ताकि छात्रों की संख्या पता हो। किसी भी तरह का डेटा हमारे सामने होगा, तभी तो हम योजनाओं को आसानी से तैयार कर सकेंगे। उन्होंने कहा कि इस मामले में एसपी और बीएसपी की ओर से भ्रम फैलाया जा रहा है। गौरतलब है कि यूपी में गैर मान्यता प्राप्त मदरसों का सर्वे करवाया जाएगा। इसके लिए शासन के उप सचिव शकील अहमद सिद्दीकी की ओर से एक आदेश जारी किया गया है। इस आदेश में कहा गया है कि 10 सितम्बर तक इस सर्वे के लिए टीम गठित की जाएगी, जिसमें संबंधित तहसील के उप जिलाधिकारी, जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी और जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी शामिल होंगे।

25 अक्टूबर तक सरकार को सौंपी जाएगी सर्वे की रिपोर्ट
यह सर्वे 5 अक्टूबर तक पूरा होना है और सरकार के पास 25 अक्टूबर तक यह डेटा जाएगा। सर्वे में बिना मान्यता के मदरसों की स्थापना का वर्ष, भूमि का विवरण, भवन की स्थिति, छात्र-छात्राओं एवं शिक्षकों की संख्या, पाठ्यक्रम, आय का स्रोत आदि की डिटेल होगी। मदरसों का सर्वे कराकर इन मदरसों का सम्पूर्ण विवरण प्राप्त किया जाएगा, जिससे मालूम हो सकेगा कि प्रदेश में कुल कितने प्रकार के मदरसे हैं। दानिश आजाद ने कहा कि यह एक सर्वे है़ ताकि विवरण हासिल हो सके। इसे किसी भी प्रकार की जांच ना समझा जाए।



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Samachaar India

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