बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ के संदेश एवं लैंगिक असमानता को खत्म करने के संकल्प के साथ कैबिनेट मंत्री रेखा आर्य ने की 25 किलोमीटर की पैदल कांवड़ यात्रा

बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ के संदेश एवं लैंगिक असमानता को खत्म करने के संकल्प के साथ कैबिनेट मंत्री रेखा आर्य ने की 25 किलोमीटर की पैदल कांवड़ यात्रा

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हरिद्वार। बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ के संदेश एवं लैंगिक असमानता को खत्म करने के संकल्प के साथ आज उत्तराखंड की महिला सशक्तीकरण एवं बाल विकास मंत्री रेखा आर्य ने कांवड़ यात्रा निकाली। हरिद्वार में हर की पैड़ी से 25 किलोमीटर की पैदल कावंड यात्रा ऋषिकेश में संपन्न हुई।

कांवड़ यात्रा के लिए उन्होंने सुबह हरकी पैड़ी पहुंचकर जल भरा। इसके बाद वहां से पैदल चलकर ऋषिकेश में वीरभद्र महादेव मंदिर में जलाभिषेक करने के लिए रवाना हुईं। इस दौरान उनके साथ आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, सहायिकाओं, सुपरवाइजरों समेत 200 महिलाएं शामिल रही। इस दौरान महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास के सचिव एचसी सेमवाल, गंगासभा के अध्यक्ष प्रदीप झा, विधायक आदेश चौहान पूर्व विधायक देशराजराज कर्णवाल, महंत रवींद्र पुरी, महंत हरिगिरी आदि मौजूद रहे।

मंत्री रेखा आर्य ने कहा कि लैंगिक असमानता को खत्म करने को लेकर सरकार ने संकल्प लिया है। सावन के इस पवित्र महीने में एक संदेश उन माता-पिता और समाज को दिया जाए जो लड़कियों को लेकर इस तरह की सोच रखते हैं। इसलिए हमनें अपने संकल्प का नाम भी श्मुझे भी जन्म लेने दो, शिव के माह में शक्ति का संकल्पश् दिया है।

उन्होंने कहा कि सभी आंगनबाड़ी बहनों और विभागीय अधिकारियों व कर्मचारियों को स्पष्ट निर्देश दिए गए थे कि वह इस संकल्प को पूरा करने में अपना सहयोग करें। इस संकल्प यात्रा में बड़ी संख्या में बहनें पहुंची हैं। सभी को यह कहा गया है कि आंगनबाड़ी बहनें व विभागीय अधिकारी, कर्मचारी अपने-अपने नजदीकी शिवालयों में जलाभिषेक करें और बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ के इस संकल्प को पूरा करें। बेटियों को गर्भ में ही मार देना या फिर भ्रूण का परीक्षण कराना एक दंडनीय अपराध है, लेकिन फिर भी अमूमन यह देखने में आया है कि इस तरह के कृत्य अभी भी चोरी छिपे कुछ पैथोलॉजी, नर्सिंग होम व अस्पताल करते हैं। जो भी व्यक्ति इस तरह के कृत्य करने वालों की सूचना विभाग को टोल फ्री नंबर 181 पर देगा उनके नाम को गोपनीय रखते हुए उसे ईनाम दिया जाएगा। वहीं गलत काम करने वालों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि 2025 में हम रजत जयंती मना रहे हैं, तब तक हमें इस लैंगिक असमानता को खत्म करना है। उम्मीद है 2025 में 1000 बालकों पर 1000 बालिकाओं का आंकड़ा होगा।



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Samachaar India

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