सूबत मिटाने की अफवाहें मत फैलाइये- बुल्डोजर चलाने से पहले ही पुलिस ने छान मारा था पूरा रिजार्ट, वीडियोग्राफी के साथ ही फारेसिंक टीम अंकिता के कमरे से इक्कठा कर चुकी थे सारे सबूत

सूबत मिटाने की अफवाहें मत फैलाइये- बुल्डोजर चलाने से पहले ही पुलिस ने छान मारा था पूरा रिजार्ट, वीडियोग्राफी के साथ ही फारेसिंक टीम अंकिता के कमरे से इक्कठा कर चुकी थे सारे सबूत

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एसआईटी की कमान पी. रेणुका जैसी तेजतर्रार और ईमानदार अफसर के हाथ, दोषियों को मिलेगी कड़ी से कड़ी सजा

देहरादून। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान ऋषिकेश के शव विच्छेदन गृह में अंकिता भंडारी के शव का शनिवार को करीब पांच घंटे तक पोस्टमार्टम चला। जांच के लिए बिसरा भी सुरक्षित रखा गया है। इसके बाद शव पिता के सुपुर्द कर दिया गया। जिसकी प्राथमिक रिपोर्ट पुलिस प्रशासन को दे दी गई है। प्राथमिक पोस्टमार्टम रिपोर्ट के मुताबिक अंकिता की मौत पानी में डूबने के कारण हुई है। प्राथमिक पीएम रिपोर्ट में चिकित्सकों के मुताबिक अंकिता के शरीर पर किसी ब्लंट ऑब्जेक्ट (बिना धार की वस्तु) से की गई चोट के निशान मिले हैं। रिपोर्ट में पानी डूबने से खून में ऑक्सीजन का स्तर कम होने को अंकिता की मौत का कारण बताया गया है। विस्तृत रिपोर्ट सोमवार तक मिलेगी।

अपर पुलिस अधीक्षक शेखर सुयाल ने जो जानकारी दी थी, उसके मुताबिक भी आरोपितों ने अंकिता की हत्या करने से पूर्व पीटा था। उन्‍होंने कहा था कि उसके शरीर पर चोट के निशान पिटाई के थे या नहर में डूबने के बाद आए, यह विस्तृत पोस्टमार्टम रिपोर्ट से ही स्पष्ट हो पाएगा। उन्होंने कुछ मीडिया गुपों और न्यूज पोर्टल में साक्ष्य मिटाने वाली खबरों का खंडन करते हुए कहा कि 22 तारीख को रिजोर्ट की पूरी वीडियोग्राफी की गई है। फारेंसिंक टीम ने सभी सूबत इक्कठा कर लिए थे। किसी प्रकार का कोई सबूत नष्ट नहीं हुआ है। पुलिस के पास प्रयाप्त सबूत हैं कि वह आरोपियों को कड़ी से कड़ी सजा दिलाये।

वहीं सोशल मीडिया के जरिए कुछ लोग ये फैलाने में लगे हुए हैं कि रिजार्ट पर बुल्डोजर चलाकर सबूतों को नष्ट करने की कोशिश की गई है। जनभावनाओं के अनुरूप लिए गये सरकार के फैसले पर सवाल खड़ा कर लोगों को गुमराह कर उनकी भावनाओं को भड़काने में लगे हुए हैं। इस सबंध में जब प्रख्यात वकील चंद्रशेखर तिवारी और नामी एडवोकेट राज सिंह राघव का कहना है कि केस मजबूत है। रिजार्ट पर बुल्डोजर चलाने का फैसला सही है। क्राइम सीन रिजार्ट में नहीं है। धारा 27 के तहत आरोपियों की निशानदेही पर बॉडी रिकवरी है। किसी और ने बताया नहीं, आरोपियों ने बताया है। यह अपने आप में बड़ा सबूत है। यदि बॉडी नहीं मिलती तो केस कमजोर होता। वह रिजार्ट में नौकरी करती थी। फोन काल्स और चैट की डिटेल से भी इलेक्ट्रानिक साक्ष्य मिल जाएंगे।

एडवोकेट राजसिंह राघव के मुताबिक पुलिस ने रिजार्ट पहले ही छान मारा था। ऐसे में बुल्डोजर चलाने या आग लगने से केस पर कोई फर्क नहीं पडेगा क्योंकि घटना तो नहर पर घटी। पोस्टमार्टम रिपोर्ट से तय हो जाएगा। उन्होंने कहा कि वह अंकिता केस में उनके परिवार की हर तरह से मदद के लिए तैयार हैं। इस बीच प्रारंभिक पोस्टमार्टम रिपोर्ट में अंकिता के शरीर पर चोट के निशान मिले हैं और पानी में डूबने से मौत दिखाई है। संभवत अंकिता के साथ मारपीट की गयी और फिर उसे नहर में धकेल दिया गया।

वहीं इस पूरे मामले में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर एसआईटी गठित हो चुकी है और इसकी कमान पी. रेणुका देवी जैसी एक अच्छी और ईमानदार अफसर के हाथों में है। जिन्होंने अपनी टीम के साथ घटनास्थल पर जाकर बारीकी से निरीक्षण कर साक्ष्य इक्कठा किये हैं। अपनी बयान में पी. रेणुका देवी ने कहा कि टीम जल्द जांच पूरी कर दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा दिलायेगी। आम जनमानस को भी उम्मीद है कि दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा मिलेगी ताकि भविष्य में दुबारा कोई इस तरह की घटना घटे।



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Samachaar India

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