दया शंकर पांडेय के संघर्षों को मिला सीएम धामी का साथ, लोकतंत्र सेनानियों और उनके परिजनों की सालों पुरानी मांग पर लगी मुहर

दया शंकर पांडेय के संघर्षों को मिला सीएम धामी का साथ, लोकतंत्र सेनानियों और उनके परिजनों की सालों पुरानी मांग पर लगी मुहर

ः- लोकतंत्र सेनानी सम्मान पेंशन का शासनादेश हुआ जारी
ः- सीएम पुष्कर सिंह धामी ने विधायक रहते हुए दया शंकर पांडेय व लोकतंत्र सेनानियों के परिजनों से किया गया अपना वायदा निभाया
ः- स्वर्गीय वल्लभभाई पांडे सहित कई लोकतंत्र सेनानियों को मिला सम्मान

देहरादून। राज्य के वरिष्ठ पत्रकार और दूरदर्शन में एएनई के रूप में कार्यरत दया शंकर पांडेय के संघर्ष को तब मंजिल मिल गई जब उनकी सालों पुरानी मांग पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अपनी मुहर लगा दी। दया शंकर पांडेय अपने साथियों के साथ पिछले लम्बे समय से लोकतंत्र सेनानियों और उनके परिजनों के सम्मान की लड़ाई लड़ रहे थे। दया शंकर पांडेय के पिता स्वर्गीय वल्लभभाई पांडे भी लोकतंत्र सेनानी रहे हैँ। दया ने इस लड़ाई का नेतृत्व किया और इसे पूरे धैर्य और सम्मान के साथ उसको उसके अंजाम तक पहुंचाया। इस पूरी लड़ाई में कई मोड़ ऐसे आये जब उन्हें सामने से निराश हाथ लगी लेकिन फिर भी दया ने कभी हार नहीं मानी। न कभी खुद टूटे और झुके न साथ में संघर्ष कर रहे अन्य लोगों को टूटने दिया।

मांग पूरी होने के बाद पत्रकारों से बात करते हुए दया कहते हैँ कि यह एक लंबी लड़ाई थी। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने विधायक रहते हुए उनसे जो वादा किया था उसे उन्होंने प्राथमिकता से निभाया। इसके साथ ही राज्यसभा सांसद नरेश बंसल, वित्त मंत्री डॉ प्रेमचंद अग्रवाल, प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र प्रसाद भट्ट, संघ और भाजपा के कई वरिष्ठ नेताओं ने समय-समय पर उनका हौसला बढ़ाते हुए मांग का समर्थन किया।

पिता को याद करते हुए भावुक होते हुए दया शंकर कहते हैँ कि लोग समझते होंगे मैं कौन हूं मेरे पिता स्वर्गीय वल्लभभाई पांडे कौन है तो मैं सिर्फ इतना कहना चाहूंगा वह एक सच्चे सामाजिक और संघ से जुड़े एक जमीनी स्तर के कार्यकर्ता थे। मैंने बचपन से उत्तर प्रदेश के समय संघ के और भारतीय जनता पार्टी के बड़े नेताओं को अपने घर आते हुए देखा है 6वह अलग बात है कि पिता ने कभी अपने संबंधों को शो ऑफ नहीं किया। मेरे पिता अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के पूर्णकालिक थे जब उनकी आपातकाल के दौरान लखनऊ विश्वविद्यालय से गिरफ्तारी हुई उसके बाद मेरे पिता भारतीय मजदूर संघ के संगठन मंत्री थे भारतीय जनता पार्टी के संस्थापक सदस्य अटल बिहारी वाजपेई ने उन्हें बनाया था संघ के पूर्णकालिक कार्यकर्ता के रूप में उन्होंने बहुत आंदोलन में भाग लिया और बहुत लंबे समय तक विभिन्न आंदोलन में जेल काटी उनमें एक प्रमुख रूप से आपातकाल के समय लखनऊ जेल रही है उत्तराखंड आंदोलन में भी पिता सक्रिय रहे।

दया शंकर पांडे कहते हैँ मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के लिए शब्दों के अल्फाज कम हैं सिर्फ धन्यवाद देकर हम आपका आभार प्रकट नहीं कर सकते मेरा अंतर्मन जानता है 6 साल से की गई इस मेहनत का आज जब परिणाम निकला है तो हमारे मन में भावनाओं का ज्वार उमड़ रहा है बचपन से लेकर आज तक पिता के साथ बिताए हुए हर एक पल अनायास आंखों में घूम रहे हैं आपने संघ के इन पुराने परिवारों का आर्थिक रूप से ध्यान रखा उन्हें सम्मान दिलाया हम हमेशा आपके आभारी रहेंगे। आप सच्चे संघ के और भारतीय जनता पार्टी के सेवक निकले आपने समाज को एक समर्पण का भाव देने वाले लोगों के परिवारो का ध्यान रखा।

मुझे पूरा विश्वास है कि आपने उत्तराखंड राज्य के हित में जो संकल्प लिया है वह जरूर पूरे होंगे। आपके नेतृत्व में उत्तराखंड में कई ऐतिहासिक निर्णय और कानून लाए गए हैं यह उत्तराखंड के इतिहास में मील के पत्थर साबित होंगे। आपके इस निर्णय में आपकी भावनाएं साफ झलकती हैं ऐसा लगता है मानो आप ने संदेश दिया है यह कार्य बहुत पहले हो जाना चाहिए था।

Samachaar India

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