मौसम में बदलाव से फैल रहा H3N2 संक्रमण, घबराएं नहीं सतर्क और सजग रहें
मौसम में बदलाव से फैल रहा H3N2 संक्रमण, घबराएं नहीं सतर्क और सजग रहें
सीनियर फिजीशियन डॉ एसडी जोशी की बातों पर नहीं दिया ध्यान तो जकड़ लेगा सर्दी और शरीर का दर्द
देहरादून। उत्तराखंड में बदलते मौसम से आम आदमी बेहद परेशान है। पिछले फरवरी महीने से मौसम में काफी ज्यादा बदलाव देखने को मिल रहा है। सुबह के वक्त ज्यादा ठंड होती हैं। तो वहीं दोपहर के वक्त तेज धूप होता है। जिसकी वजह से गर्मी बढ़ जाती है। शाम होते ही ठंड बढ़ जाती है। जिसकी वजह से गर्म कपड़े, रजाई और कंबल ओढ़ना पड़ता है। मौसम में हो अचानक से इस बदलाव के कारण आपकी सेहत खराब हो सकती है। सिर्फ इतना ही नहीं इससे आपको फ्लू, सर्दी-खांसी और फिवर का शिकार भी हो सकते हैं। उत्तराखंड के जाने-माने वरिष्ठ फिजीशियन डॉ एसडी जोशी कहते हैं कि इस बदलते हुए मौसम में बच्चे और बुजुर्गों को खास ख्याल रखने की जरूरत है, क्योंकि इसका सीधा असर हेल्थ पर पड़ सकता है। इसके साथ ही मौसम में बदलाव से एच3 एन2 वायरस लोगों को अपनी चपेट में ले रहा है। कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता वालों के अलावा बच्चे और बुजुर्ग जल्दी संक्रमित हो रहे हैं। इससे चार से पांच दिनों तक बुखार, सर्दी-जुकाम और गले में खराश का सामना करना पड़ रहा है।
आपको बता दें कि मौसम में बदलाव की वजह हो रहे संक्रमण के प्रति सजगता और सतर्कता बरतने तथा उसके उपचार आदि के संबंध में विचार एक नई सोच के प्रतिनिधि द्वारा पूछे गये कई सवालों के जवाब डॉ एसडी जोशी ने दिए।
झोलाछाप डॉक्टरों से इलाज कराने से बचें
सीनियर फिजीशियन डॉ एसडी जोशी कहते हैं कि आजकल बहुत से लोग खुद ही डॉक्टर बन जाते हैं। इसलिए मेरा सभी लोगों को सुझाव है कि अपने आप कैमिस्ट से दवाई लेकर न खायें। इसके साथ ही झोलाछाप डॉक्टरों से भी इलाज कराने से बचें। बहुत सारे लोग इस चक्कर में और अधिक बीमार पड़ जाते हैं।
संक्रमण से बचाव के लिए बरतें सावधानी
वरिष्ठ फिजीशियन डॉ एसडी जोशी ने कहा इन दिनों शहर से गांवों तक सर्दी-जुकाम और बुखार के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। देश और प्रदेश में कई स्थानों पर सैंपल की जांच में एच 3एन 2 की रिपोर्ट पाजीटिव आने के बाद देश और राज्य में स्वास्थ्य विभाग भी सतर्क हो गया है। वरिष्ठ फिजीशियन डॉ एसडी जोशी का कहना है कि लोगों को इससे डरने की जरूरत नहीं है, लेकिन सावधानी जरूरी है। जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती हैं। उन्हें सावधान रहने की जरूरत है। उन्हें कोरोना संक्रमण से बचाव के समान ही सावधानी बरतना जरूरी है।
पुरानी बीमारियों वालों को सावधान रहने की जरूरत
वरिष्ठ फिजीशियन डॉ एसडी जोशी ने बताया कि पहले एच1एन1 महामारी आई थी। उस वायरस का फैलता स्ट्रेन अब एच3एन2 के रूप में आया है। यह स्वाइन फ्लू के पहले भी था। वैसे यह आम स्ट्रेन है, लेकिन वायरस के म्यूटेट होने के कारण और भी ज्यादा मामले दिखाई दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि वायरस के खिलाफ जो लोगों के पास इम्युनिटी थी, वह कम हो गई है। इसलिए वह ज्यादा आसानी से संक्रमित हो जाते हैं। वहीं पुरानी बीमारी वालों को सावधान रहने की जरूरत है।
अब लग रहे हैं 10 से 12 दिन
वरिष्ठ फिजीशियन डॉ एसडी जोशी ने कहा एच3एन2 वायरस के लक्षण सामान्य सर्दी-जुकाम की तरह ही होते हैं। मुख्य लक्षणों में खांसी, नाक बहना, गले में खराश, बुखार के साथ सिरदर्द और शरीर में दर्द, दस्त या पेट में मरोड़, थकान, सांस फूलना आदि हैं। यह वायरस सामान्य सर्दी-जुकाम की तरह ही काम करता है, लेकिन कुछ मरीजों में सांस की समस्या हो सकती है। किसी मरीज को उक्त लक्षणों के साथ सांस लेने में दिक्कत हो रही है तो उसे तुरंत डाक्टर को दिखाना चाहिए।
इनफ्लूएजा के संक्रमण और कोरोना संक्रमण में अंतर
मौसम बदलने के साथ होने वाली सर्दी-खांसी और गले में खराश की शिकायत पर डॉ एसडी जोशी ने कहा आमतौर पर मौसम में परिवर्तन की वजह से सर्दी-खांसी और गले में खराश की शिकायत होती है। भांप ले और सेंधा नमक कुनकुने पानी में डाल कर गरारे करें। ज्यादा ठंडी चीजों का सेवन नहीं करें। डॉ एसडी जोशी ने कहा अभी मौसमी संक्रमण एच3एन2 इनफ्लूएजा की वजह से बुखार और सर्दी-खांसी के मरीज बढ़े है। उपचार के बाद भी यदि बुखार नहीं जा रहा व सांस लेने में कोई परेशानी हो तो कोरोना की जांच करवा सकते हैं। सीजन वायरल हो सकता है। चिकित्सक को दिखाकर सामान्य उपचार लें। साधारण भोजन और तरल पदार्थ ज्यादा लें। तीन-चार दिन में आराम हो जाएगा। दवाई लेने के बाद भी बुखार ज्यादा रहे तो सैंपल की जांच करवा सकते है। इनफ्लूएजा के संक्रमण और कोरोना संक्रमण में अंतर पर डॉक्टर एसडी जोशी ने कहा दोनों रोग वायरस से होते है। इनमें प्राथमिक लक्षण भी समान है। अभी इनफ्लूएजा का प्रभाव अधिक है। मौसम में बदलाव का शरीर पर प्रभाव पड़ता है। बुखार हल्का है तो यह वायरल हो सकता है।
बरतें ये सावधानी नहीं तो जकड़ लेगा सर्दी और शरीर का दर्द
डॉ एसडी जोशी ने कहा इस बदलते मौसम में डिहाइड्रेशन एक गंभीर समस्या है, इस मौसम में पानी पीने के दौरान आपको कुछ खास बातों की ख्याल रखना पड़ेगा। गर्मी पड़ने पर एक तरफ ठंडा पानी पीते हैं, जिसकी वजह से सर्दी और जुकाम होने लगता है। फिर बीमार पड़ जाते हैं। आपको जानकर हैरानी होगी कि इस मौसम का सीधा असर हमारी सेहत पर पड़ता है। जिसकी वजह से खाना पचने में भी दिक्कत होती है। बदलते मौसम में सुस्ती, सिर में दर्द, शरीर में दर्द और कब्ज की प्रॉब्लम शुरू हो जाती है। इससे मूड स्विंग और चिड़चिड़ापन भी महसूस हो सकता है।
इस मौसम में खास ख्याल रखने की क्यों है जरूरत
डॉ एसडी जोशी ने कहा घर से आप किसी भी काम के लिए निकल रहे हैं या ऑफिस के लिए निकल रहे हैं तो साथ में शॉल-स्टॉल, स्वेटर या पतला जैकेट के साथ टोपी जरूर ले जाए। जब भी आप बाहर से आए तो ये नहीं कि गर्मी से बचने के लिए तुरंत पंखा या एसी चला लें या फिर ठंडा या कोल्ड ड्रिंक्स पी लें. इससे आपको तुरंत सर्दी- जुकाम हो जाएगा। सिरदर्द या सर्दी-इस मौसम में जैसे ही सर्दी या जुकाम हो तो तुरंत दवा या सीरप न पिएं.क्योंकिक इससे आपको तुरंत साइड इफेक्ट्स हो सकता है। इस मौसम में जिल्स, चिकन पॉक्स, वायरल इन्फेक्श वायरस काफी ज्यादा एक्टिव रहते हैं। ऐसे में हमें इस बीमारी से बचने की काफी ज्यादा जरूरत है। इस वक्त बाहर न निकलें. और बाहर के खाना को न खाएं।
इस मौसम में फ्रूट्स और सब्जियां को डाइट में जरूर करें शामिल
डॉ एसडी जोशी ने कहा इस बदलते मौसम में आपको अपनी डाइट में कुछ बदलाव करनी चाहिए। जैसे-सुबह के वक्त मॉर्निंग वॉक और शाम के वक्त टहलना बेहद जरूरी है। साथ ही योगा और मेडिटेशन बेहद जरूरी है। खाना बनाने में कम से कम मसाले का यूज करें। जैसे-अजवायन, दालचीनी, सौंफ को सब्जी बनाते वक्त यूज करें. साथ ही हींग सब्जी और दाल में हींग भी डाल सकते हैं। फलों में संतरा, अंगूर, कीवी, सब्जियां, लौकी, पालक, टिंडा, करेला आप आराम से खा सकते हैं। इस मौसम में स्किन फटाक से ड्राई होने लगता है। ऐसे में चेहरे को गुनगुना पानी से ही धोएं। स्किन ज्यादा ड्राई न हो जाए इसके लिए मॉइस्चराइजर और क्रीम लगाएं। धूप में जब भी निकलें, इसमें सनस्क्रीन का इस्तेमाल जरूर करें।
ये सावधानियां बरतें
– खासकर बच्चों और बुजुर्गों को भीड़-भीड़ वाले क्षेत्रों में जाने से बचें।
– मास्क का प्रयोग करें, हाथों को समय-समय पर सैनिटाइज करते रहें।
– परिवार में किसी भी व्यक्ति को संक्रमण होता है तो उसे मास्क पहनाएं।
– बाहर से आने के बाद हाथों को सैनिटाइज जरूर करें।
– चिकित्सक से परामर्श कर उपचार लें।