इनकम टैक्स, सेविंग, पेंशन, गोल्ड, आज से बदल गए आपकी जेब से जुड़े कई नियम
नई दिल्ली। नए वित्त वर्ष 2023-24 की शुरुआत हो चुकी है। इसके साथ ही कई ऐसे फैसले लागू हो गए हैं, जिनसे आपकी लाइफ प्रभावित होगी।
आइए हम आपको इन फैसलों के बारे में बताते हैं:-
1 नई टैक्स व्यवस्था एक अप्रैल से प्रभाव में आ गई है। इस व्यवस्था के तहत यदि किसी टैक्सपेयर की वार्षिक आय 7 लाख रुपये है, तो उसे कोई टैक्स अदा नहीं करना होगा। हालांकि, निवेश और आवास भत्ता जैसी छूट वाली पुरानी टैक्स व्यवस्था में कोई बदलाव नहीं किया गया है। पहली बार नई टैक्स व्यवस्था के तहत भी 50,000 रुपये की मानक कटौती के लाभ का प्रस्ताव किया गया है।
2 वित्त मंत्री ने नई टैक्स व्यवस्था यानी बिना कोई छूट वाली टैक्स व्यवस्था को ‘डिफॉल्ट’ बनाने का प्रस्ताव किया है। इसका मतलब है कि अगर आपने आयकर रिटर्न में अपना विकल्प नहीं चुना है तो आप स्वत: नई टैक्स व्यवस्था में चले जाएंगे। इसके अलावा तकनीकी सेवाओं के लिए रॉयल्टी और शुल्क पर टैक्स की दर को 10 प्रतिशत से बढ़ाकर 20 प्रतिशत कर दिया जाएगा।
4 सरकार ने अप्रैल-जून तिमाही के लिए ज्यादातर लघु बचत योजनाओं पर ब्याज दरें बढ़ा दी हैं। हालांकि लोकप्रिय जमा योजना पीपीएफ और बैंकों में बचत जमा पर ब्याज दरें अप्रैल-जून तिमाही के लिए क्रमश: 7.1 प्रतिशत और चार प्रतिशत पर बरकरार रखी गई हैं। अन्य बचत योजनाओं में ब्याज दरों में 0.1 प्रतिशत से 0.7 प्रतिशत की वृद्धि की गई हैं।
6 वरिष्ठ नागरिक बचत योजना के तहत जमा सीमा 15 लाख रुपये से बढक़र 30 लाख रुपये हो जाएगी। वहीं मासिक आय योजना के तहत जमा सीमा बढ़ाकर 9 लाख रुपये हो जाएगी।
8 एक अप्रैल से बॉन्ड या निश्चित आय वाले उत्पादों में निवेश से जुड़े म्यूचुअल फंड में शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन लगेगा। अब तक निवेशकों को इस पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन मिलता था और इस कारण यह निवेश लोकप्रिय था। फिलहाल, बॉन्ड या निश्चित आय वाले उत्पादों से जुड़े म्यूचुअल फंड में निवेश करने वाले निवेशक तीन साल के लिए पूंजी लाभ पर आयकर चुकाते हैं।
9 एक अप्रैल से सख्त उत्सर्जन नियम लागू होने के बाद मारुति सुजुकी, टाटा मोटर्स जैसी वाहन कंपनियां अपने विभिन्न मॉडलों की कीमतों में बढ़ोतरी कर रही हैं।
11 विदेश यात्रा के लिए क्रेडिट कार्ड से भुगतान को भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के लिबरलाइज्ड रेमिटेंस स्कीम (एलआरएस) के दायरे में लाया जाएगा। इसका मकसद यह सुनिश्चित करना है कि ऐसे खर्चे स्रोत पर कर संग्रह (टीसीएस) के दायरे में आएं।
12 देश के सूक्ष्म और लघु उद्योगों के लिए एक संशोधित ऋण गारंटी योजना एक अप्रैल से लागू होगी। इसमें एक करोड़ रुपये तक के कर्ज के लिए वार्षिक गारंटी शुल्क अधिकतम दो प्रतिशत से घटकर 0.37 प्रतिशत किया जा रहा है। इससे छोटे कारोबारियों के लिए ऋण की कुल लागत में कमी होगी। गारंटी की सीमा को दो करोड़ रुपये से बढ़ाकर पांच करोड़ रुपये कर दिया गया है।
14 एक अप्रैल से नेशनल पेंशन सिस्टम के नियम भी बदल रहे हैं। अब सालाना पेंशन पाने या इससे बाहर निकलने के इच्छुक सब्सक्राइबर्स को नो योर कस्टमर या निकासी से जुड़े डॉक्यूमेंट्स को अपलोड करना अनिवार्य कर दिया है।