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आखिर क्यों जी-7 देशों ने भारत से किया JETP में शामिल होने का आग्रह, जानिए वजह

दिल्ली।  जी-7 देशों ने भारत को एक जस्ट एनर्जी ट्रांजिशन पार्टनरशिप (जेईटीपी) में शामिल होने के लिए कहा है, जो भारत में स्वच्छ ऊर्जा परियोजनाओं में तेजी लाने और कोयले पर देश की निर्भरता को कम करने में मदद करेगा। भारत ने अभी तक साझेदारी की पेशकश का जवाब नहीं दिया है। भारत इसे स्वीकार करता है, तो नवंबर में मिस्र के शर्म अल शेख में होने वाले संयुक्त राष्ट्र जलवायु सम्मेलन में जेईटीपी की घोषणा किए जाने की संभावना है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, जी-7 ने शामिल होने के आग्रह को भारत ने खारिज नहीं किया है। भारतीय विदेश मंत्रालय इसपर विचार कर रहा है।

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने अपनी भारत यात्रा के दौरान जी-7 में भारत के शामिल होने का आग्रह किया था। उन्होंने 19 अक्टूबर को भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मुंबई में अपने भाषण में कहा, विकसित देशों को इस मुद्दे पर आगे आना चाहिए। मैंने भारत सहित सभी देशों में अक्षय ऊर्जा की तैनाती में तेजी लाने की महत्वाकांक्षी योजनाओं के साथ समर्थन के गठबंधन का आह्वान किया है। इसलिए मैं जस्ट एनर्जी ट्रांजिशन पार्टनरशिप की स्थापना का स्वागत करता हूं। इस तरह की भागीदारी भारत जैसे देशों को राष्ट्रीय स्वामित्व वाली एक करीबी समन्वित प्रक्रिया के माध्यम से नवीकरणीय ऊर्जा की तैनाती में तेजी लाने में मदद कर सकती है। इस लाभ उन लाखों भारतीयों को होगा , जो प्रदूषण, ऊर्जा गरीबी और जलवायु संकट के तिहरे प्रभाव से पीड़ित हैं।

बीते गुरुवार को गुटेरेस ने कहा, विकसित देशों को अपनी राष्ट्रीय जलवायु योजनाओं को बढ़ावा देने में नेतृत्व करना चाहिए। ऐसा करने के लिए उन्हें वित्तीय और तकनीकी सहायता की आवश्यकता है। जस्ट ट्रांजिशन एनर्जी पार्टनरशिप भारी मात्रा में कोयले पर निर्भर उभरती अर्थव्यवस्थाओं को नवीकरणीय ऊर्जा में स्थानांतरित करने में मदद करने के लिए तैयार है। ये साझेदारियां भारत, इंडोनेशिया, दक्षिण अफ्रीका और वियतनाम में आगे बढ़ रही हैं।

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