टीचर भर्ती घोटाला:- पार्थ चटर्जी मिनी बैंक की तरह इस्तेमाल करते थे अर्पिता का घर, हर 10 दिन पर लगा रहता था आना-जाना

टीचर भर्ती घोटाला:- पार्थ चटर्जी मिनी बैंक की तरह इस्तेमाल करते थे अर्पिता का घर, हर 10 दिन पर लगा रहता था आना-जाना

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दिल्ली।  पश्चिम बंगाल टीचर भर्ती घोटाले में एक नया मोड़ सामने आया है। पश्चिम बंगाल सरकार के गिरफ्तार हुए मंत्री पार्थ चटर्जी की करीबी अर्पिता मुखर्जी से ईडी पूछताछ की। इस दौरान अर्पिता मुखर्जी ने बड़े-बड़े खुलासे किए हैं। सूत्रों के मुताबिक अर्पिता ने ईडी को बताया कि पूरी रकम उनके घर के एक कमरे में रखी गई थी। उस कमरे में केवल पार्थ चटर्जी और उसके आदमियों को ही प्रवेश की अनुमति थी। बिना पार्थ चटर्जी के इजाजत के कोई भी कमरे के अंदर नहीं जाता था। अर्पिता का कहना है कि हर हफ्ते या 10 दिन में एक बार पार्थ चटर्जी उनके घर आया करते थे। पार्थ मेरे घर का इस्तेमाल एक मिनी बैंक की तरह करते थे। पार्थ यह कभी नहीं बताते थे कि कमरें में कितना पैसा रखा हुआ है।

टीचर भर्ती घोटाले पार्थ की सहयोगी अर्पिता के घर से इतना कैश मिला है कि नोटों का पहाड़ बन जाए। बुधवार को पड़े छापे में अर्पिता मुखर्जी के उत्तरी 24 परगना के बेलघोरिया स्थित फ्लैट से 27 करोड़ 90 लाख रुपए कैश बरामद हुए थे इसके साथ ही 5 किलो सोना भी बरामद हुआ था। आपको बता दें कि अर्पिता के घर से मिले नोटों की गिनती करने के 4 काउंटिंग मशीनें लगानी पड़ी। करीब 10 घंटे तक चले नोटों की गिनती में अर्पिता के घर से कुल 50 करोड़ कैश बरामद हुआ है। म्क् के पहले छापेमारी में अर्पिता के यहां से 21 करोड़ कैश मिला था। अब तक म्क् की दो रेड में अर्पिता के घर से इतना कैश मिला कि 20 बक्से नकदी नोटों से भर गए। इतनी अकूत संपत्ति मिली कि पूरी दौलत एक ट्रक में भरकर ले जाना पड़ा।

अर्पिता के घर से मिले अकूत दौलत का पता कल रात तब चला जब म्क् की टीम जांच-पड़ताल के लिए उनके घर पर पहुंची थी। अर्पिता के बेलघरिया स्थित फ्लैट से नोटों का जखिरा मिला। ये धन किसा दराज, अलमिरा या संदूक में नहीं जबकि फ्लैट के टॉयलेट में छुपाया गया था। म्क् को अर्पिता के घर से 27.9 करोड़ रुपए कैश मिले हैं। इसमें 2000 रुपए और 500 रुपए के नोटों के बंडल थे। बताया जा रहा है कि नोटों को 20-20 लाख और 50-50 लाख के बंडल में बनाकर रखा गया था। अर्पिता के घर से मिले नोटों का पहाड़ जितना बड़ा होते जा रहा है उतना ही ममता सरकार की मुश्किलें भी बड़ी होते जा रही हैं।



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Samachaar India

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