एससीओ में जयशंकर के पाले पड़े बिलावल, जयशंकर ने आतंकवाद को लेकर पाक को सुनाई खरी खोटी, चाबहार और सीपीईसी पर भिड़े भारत और पाकिस्तान,

एससीओ में जयशंकर के पाले पड़े बिलावल, जयशंकर ने आतंकवाद को लेकर पाक को सुनाई खरी खोटी, चाबहार और सीपीईसी पर भिड़े भारत और पाकिस्तान,

[ad_1]

नई दिल्ली। उज्बेकिस्तान की अध्यक्षता में ताशकंद में आयोजित एससीओ देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक में एस जयशंकर ने ईरान के चाबहार बंदरगाह के इस्तेमाल पर जोर दिया। वहीं, पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो ने सीपीईसी का जिक्र किया। दोनों नेताओं ने अलग-अलग यूरेशिया के बीच कनेक्टिविटी को लेकर अपने विचार रखे।

उज्बेकिस्तान की राजधानी ताशकंद में आयोजित शंघाई सहयोग संगठन की बैठक में भारत और पाकिस्तान के बीच मतभेद साफ दिखाई दिए। भारत ने एशिया और यूरोप के बीच संपर्क के लिए जहां चाबहार बंदरगाह के इस्तेमाल पर जोर दिया, वही पाकिस्तान ने सीपीईसी का जिक्र कर माहौल को गरमा दिया। इस बैठक में भारत का प्रतिनिधित्व विदेश मंत्री एस जयशंकर ने किया, वहीं पाकिस्तान की तरफ से नए-नवेले विदेश मंत्री बिलावल भु्ट्टो जरदारी ने हिस्सा लिया। भारत ने ईरान के चाबहार बंदरगाह को विकसित किया है, जबकि सीपीईसी चीन और पाकिस्तान के बीच की एक महत्वकांक्षी संपर्क परियोजना है।

जयशंकर ने आतंकवाद को लेकर पाक को सुनाई खरी खोटी
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि कोविड महामारी और यूक्रेन संघर्ष के कारण दुनिया को ऊर्जा और खाद्य संकट का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने जोर दिया कि इन दोनों संकट का तुरंत समाधान किया जाना चाहिए। इतना ही नहीं, जयशंकर ने पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी की मौजूदगी में आतंकवाद को लेकर भी जमकर खरी-खोटी सुनाई। उन्होंने सदस्य देशों से आह्वान किया कि आतंकवाद के सभी रूपों को लेकर जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाई जाए। बता दें कि पाकिस्तान पूरी दुनिया में आतंकवाद का सबसे बड़ा सप्लायर है। यही कारण है कि भारत ने पाकिस्तान के साथ द्विपक्षीय बातचीत को बंद रखा हुआ है।

चाबहार और सीपीईसी पर भिड़े भारत और पाकिस्तान
उज्बेकिस्तान की अध्यक्षता में ताशकंद में आयोजित एससीओ देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक में एस जयशंकर ने ईरान के चाबहार बंदरगाह के इस्तेमाल पर जोर दिया। वहीं, पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो ने सीपीईसी का जिक्र किया। दोनों नेताओं ने अलग-अलग यूरेशिया के बीच कनेक्टिविटी को लेकर अपने विचार रखे। हालांकि, एस जयशंकर का अनुभव बिलावल भुट्टो के सामने भारी पड़ा। बिलावल सिर्फ दो महीने पहले ही पाकिस्तान के विदेश मंत्री बने हैं। उनके पास कूटनीतिक संबंधों और विदेश नीति को लेकर कोई भी अनुभव नहीं है। एससीओ की बैठक में भी उनकी अनुभवहीनता साफ-साफ देखने को मिली।

जयशंकर ने एससीओ देशों को चाबहार के इस्तेमाल का दिया न्यौता
जयशंकर ने अफगान लोगों को कोरोना वायरस वैक्सीन, गेहूं और दवाओं के साथ भारत के समर्थन का जिक्र किया। इसके अलावा उन्होंने एससीओ में ईरान के प्रवेश का स्वागत भी किया। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि एससीओ सदस्य देश चाबहार बंदरगाह का इस्तेमाल कर सकते हैं। जयशंकर ने बैठक से पहले कजाकिस्तान के विदेश मंत्री से मुलाकात की। अगले दिन उन्होंने एससीओ महासचिव झांग मिंग के अलावा अपने उज़्बेक और किर्गिज समकक्षों के साथ बैठकें कीं। जयशंकर ने चीन, रूस और पाकिस्तान के विदेश मंत्रियों के साथ उज्बेकिस्तान के राष्ट्रपत से मुलाकात भी की।



[ad_2]

Source link

Samachaar India

Related articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *