रेलवे में नौकरी दिलाने के नाम पर आठ युवकों से की 44 लाख की ठगी

रेलवे में नौकरी दिलाने के नाम पर आठ युवकों से की 44 लाख की ठगी

[ad_1]

ऋषिकेश। रेलवे में नौकरी दिलाने के नाम पर आठ युवकों से 44 लाख रुपये ठगने वाले बिजनौर निवासी दो शातिर ठगों को कोतवाली पुलिस ने हरिद्वार से गिरफ्तार किया। वहीं अपने चचेरे भाई के ऋषिकेश स्थित रेलवे आवास में रह रहा ठगी का मास्टरमाइंड पुलिस को शिकायत मिलने से पहले ही फरार हो गया था। पुलिस आरोपी के संभावित ठिकानों पर दबिश दे रही है।

कोतवाली पुलिस को बीते जून और अगस्त महीने में रेलवे में नौकरी दिलाने के नाम पर ठगी की तहरीर मिली थी। पहले मामले में पौड़ी गढ़वाल जिले के सतपुली निवासी सोनू और उसके दोस्त मोहित से रेलवे में नौकरी दिलाने के नाम पर 14 लाख रुपये ठगे। वहीं दूसरे मामले में देहरादून के पटेलनगर निवासी त्रिलोकी दास के बेटे समेत छह युवकों से 30 लाख रुपये की रकम ठगी।

कोतवाली प्रभारी रवि सैनी ने बताया कि तीनों मामलों में उत्तर प्रदेश के बिजनौर के थाना स्योहारा मोहल्ला मिसकियां निवासी संदीप कुमार, धामपुर के थाना रतनपुर निवासी रविंद्र सिंह और सुरेंद्र का नाम सामने आया। पुलिस ने तत्काल तहरीर के आधार पर तीनों के खिलाफ धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज किया। कोतवाली प्रभारी ने बताया कि आरोपियों की धरपकड़ के लिए पुलिस ने मुखबिर और सर्विलांस टीम की मदद ली।

मुखबिर की सूचना पर पुलिस ने रविवार देर शाम संदीप कुमार और रविंद्र सिंह को हरिद्वार से गिरफ्तार कर लिया। दोनों आरोपी यहां रानीपुर कोतवाली क्षेत्र की लोटस गंगा कॉलोनी में रह रहे थे। बताया कि संदीप सिडकुल में फैक्ट्री में काम करता है और रविंद्र सिंह रोशनाबाद में कॉस्मेटिक की दुकान चलाता है। पुलिस को दोनों आरोपियों ने बताया कि सुरेंद्र ठगी की सभी घटनाओं का मास्टरमाइंड है।
पत्नी के ऑपरेशन के लिए ऋषिकेश आया

ठगी का चस्का लगा तो नहीं लौटा
ठगी की घटनाओं के मास्टरमाइंड सुरेंद्र का चचेरा भाई रेलवे में नौकरी करता है। वह ऋषिकेश में रेलवे कॉलोनी में सरकारी आवास में रहता है। सुरेंद्र की साली की शादी भी उसके चचेरे भाई से ही हुई है। कुछ महीनों पहले सुरेंद्र पत्नी के ऑपरेशन के लिए ऋषिकेश आया था। पत्नी के ऑपरेशन के बाद से वह चचेरे भाई के साथ ही रहने लगा। चचेरे भाई ने कई बार उसको वापस जाने के लिए कहा, लेकिन वह बिजनौर वापस नहीं गया।

चचेरे भाई को शक हुआ तो दे दिया शपथपत्र
चचेरे भाई को शक हो गया था कि सुरेंद्र युवकों से रेलवे में नौकरी दिलाने के लिए रुपये ले रहा है। उन्होंने जब इस पर आपत्ति जताई तो सुरेंद्र ने कहा कि अपने किए कामों के लिए वही जिम्मेदार होगा। यहां तक कि सुरेंद्र ने भाई को अपने सभी कामों की खुद जिम्मेदारी लेने का शपथपत्र भी दे दिया। सुरेंद्र के चचेरे भाई ने पुलिस को शपथपत्र भी दिखाया।

संदीप और रविंद्र को बताता था अधिकारी
आरोपी सुरेंद्र अपने साथी संदीप को राष्ट्रीय खाद्य निगम और रविंद्र को रेलवे का बड़ा अधिकारी बताकर सरकारी नौकरी की चाह लिए लोगों से मिलवाता था। लोगों को फंसाने के लिए सोशल मीडिया की भी मदद ली जाती थी। तीनों आरोपी इतने शातिर हैं कि वह लोगों को पहले नौकरी पाने वाले फर्जी लोगों से मिलवाते थे। जब आरोपी रुपये ले लेते थे तो कुछ दिन बात करते और फिर फोन उठाना बंद कर देते।

ऋषिकेश की एक महिला ने मूल रूप से हिमाचल के रहने वाले देहरादून निवासी युवक को आरोपी सुरेंद्र से मिलवाया था। जिसके बाद सुरेंद्र ने युवक को भरोसे में लिया और उसके समेत छह लोगों से रेलवे में नौकरी दिलाने के नाम पर 30 लाख रुपये ठग लिए।



[ad_2]

Source link

Samachaar India

Related articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *